
Faridabad के ऐतिहासिक Anangpur गांव के सैकड़ों निवासियों ने अब जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि उनके गांव को भी Lal Dora में शामिल किया जाए। ग्रामीणों का दावा है कि लंबे समय से वे प्रशासनिक उपेक्षा का सामना कर रहे हैं और उनके आवासीय अधिकारों को अब तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है।
Anangpur गांव, जो टोंवर वंश की ऐतिहासिक विरासत और अरण्य क्षेत्र के किनारे स्थित है, आज भी शहरी सुविधाओं से वंचित है। गांव के लोग चाहते हैं कि उनके मकानों को Lal Dora के तहत मान्यता मिले ताकि उन्हें न केवल कानूनी अधिकार मिलें, बल्कि बुनियादी सेवाओं का भी लाभ मिल सके।
क्या होता है Lal Dora और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण
Lal Dora एक ब्रिटिश कालीन व्यवस्था है, जिसके तहत गांव के आबादी क्षेत्र को लाल स्याही से नक्शों में दर्शाया जाता था। इस क्षेत्र के मकान सरकारी भवन नियमों से बाहर होते हैं और यहां घर बनाना अपेक्षाकृत आसान होता है।
हरियाणा सरकार ने हाल के वर्षों में SVAMITVA योजना के तहत ग्रामीणों को संपत्ति के कागजात देने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन जिन गांवों को Lal Dora में शामिल नहीं किया गया है, वे अब भी कानूनी उलझनों में फंसे हुए हैं।
Anangpurगांव के लोगों का कहना है कि जब तक उन्हें Lal Dora में शामिल नहीं किया जाता, उनकी संपत्तियों पर कोई आधिकारिक दावा नहीं बनता।
कानूनी अधिकारों की तलाश में ग्रामीण
Anangpur के निवासियों के लिए यह मांग केवल कागजों की नहीं है, यह उनकी पहचान और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। गांव के अधिकतर मकान कई पीढ़ियों से एक ही परिवार के पास हैं, लेकिन उनके पास किसी तरह का वैध दस्तावेज नहीं है।
Lal Dora में शामिल होने से न केवल इन मकानों को कानूनी मान्यता मिलेगी, बल्कि ग्रामीण बैंक लोन, सरकारी योजनाएं और अन्य वित्तीय सुविधाओं का भी लाभ उठा पाएंगे। इससे आर्थिक आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
मूलभूत सुविधाओं की कमी ने बढ़ाई मांग
ग्रामीणों का कहना है कि उनके इलाके में न तो सड़कें हैं, न नियमित जलापूर्ति और न ही सीवरेज की व्यवस्था। बिजली कनेक्शन भी अस्थायी रूप से दिए गए हैं, जो समय-समय पर काट दिए जाते हैं।
यदि Anangpurको Lal Dora क्षेत्र में शामिल किया जाता है, तो नगर निगम यहां बुनियादी ढांचे का विकास कर सकेगा। इससे गांव का कायाकल्प संभव है।
SVAMITVA योजना से अलग है ग्रामीणों की मांग
हालांकि केंद्र सरकार की SVAMITVA योजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण से ग्रामीण संपत्तियों के नक्शे बनाए जा रहे हैं और मालिकाना हक दिए जा रहे हैं, लेकिन Anangpur के लोग इस योजना से संतुष्ट नहीं हैं।
उनका कहना है
कि SVAMITVA केवल दस्तावेज देने तक सीमित है, जबकि Lal Dora क्षेत्र में शामिल होने से गांव को व्यापक प्रशासनिक और कानूनी मान्यता मिलती है।
ऐतिहासिक विरासत भी है Anangpur गांव की विशेषता
Anangpur केवल एक सामान्य गांव नहीं है। यह ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है। 8वीं सदी में राजा अनंगपाल तोमर द्वारा बनाया गया प्राचीन बांध आज भी यहां मौजूद है। इसके अलावा यहां कई पाषाण युगीन स्थल और पुरातात्विक महत्व की संरचनाएं हैं।
ग्रामीणों का मानना है कि यदि उनके गांव को Lal Dora में शामिल कर दिया जाए, तो यह न केवल विकास की दिशा में मदद करेगा बल्कि ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में भी कदम होगा।
पर्यावरणीय बाधाएं बन रही हैं रुकावट
Anangpurगांव अरावली पर्वतमाला के पास स्थित है, जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यहां PLPA (Punjab Land Preservation Act) जैसे कानून लागू हैं। ऐसे में Lal Dora विस्तार की प्रक्रिया में पर्यावरण विभाग की मंजूरी जरूरी है।
प्रशासन भी इस प्रक्रिया में सावधानी बरत रहा है, क्योंकि यदि एक गांव को यह छूट मिलती है, तो अन्य गांव भी यही मांग उठाएंगे।
प्रशासन तक पहुंची ग्रामीणों की याचिका
गांव के बुजुर्गों और पंचायत सदस्यों ने हाल ही में एक साझा याचिका तैयार की है, जिसे जिला उपायुक्त को सौंपा जाएगा। इस याचिका में उन्होंने विस्तार से बताया है कि उनका गांव आबादी से भरा हुआ है और हर लिहाज से Lal Dora क्षेत्र के मानकों को पूरा करता है।
उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द सर्वेक्षण कर गांव को लाल डोरा में शामिल किया जाए।
क्या हो सकता है समाधान का रास्ता
- प्रशासन को गांव का विस्तृत ड्रोन सर्वेक्षण कराना होगा
- पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेना जरूरी
- पंचायत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को राज्य स्तर पर आवाज उठानी चाहिए
- SVAMITVA योजना को आधार बनाकर अंतरिम मालिकाना दस्तावेज दिए जा सकते हैं
- गांव के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए heritage-village tag की मांग की जा सकती है
निष्कर्ष
Anangpur गांव की लड़ाई सिर्फ लाल डोरा में शामिल होने की नहीं है, यह लड़ाई है—समान अधिकार, कानूनी मान्यता और बुनियादी विकास की। यदि जिला प्रशासन ग्रामीणों की मांगों पर विचार करता है और जरूरी औपचारिकताएं पूरी करता है, तो यह गांव एक मिसाल बन सकता है।
ऐसे गांवों को सिर्फ सरकारी योजनाओं का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी बात को संगठित तरीके से उठाना होगा। Anangpur की यह पहल ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकती है।
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