
Faridabad के Anangpur गांव में Illegal Construction हटाने पहुंची प्रशासनिक टीम पर ग्रामीणों ने जबरदस्त विरोध किया। बुलडोजर जैसे ही गांव की ओर बढ़े, गुस्साए लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। प्रशासन की तरफ से इसे Supreme Court के आदेशों पर की गई कार्रवाई बताया गया। हालात बिगड़ने पर पुलिस को Lathi Charge करना पड़ा।
इस कार्रवाई के दौरान कई ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव बना हुआ है। सवाल यह है कि क्या कानूनी कार्रवाई के नाम पर आम लोगों को बिना नोटिस और पुनर्वास के उजाड़ा जा सकता है?
Faridabad Aravalli Forest Land Encroachment पर सख्ती, गांव में टकराव
अरावली की पहाड़ियों पर बने Illegal Construction को हटाने के लिए सरकार और वन विभाग ने एक बड़ा अभियान शुरू किया है। Faridabad जिले में 5,000 से ज्यादा अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं, जिनमें फार्महाउस, चारदीवारी और अन्य स्ट्रक्चर शामिल हैं।
Supreme Court ने Aravalli Forest को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है और हर प्रकार के निर्माण पर रोक लगाई है। इसके बावजूद, वर्षों से यहां बसे लोगों के लिए यह कार्रवाई सदमे से कम नहीं है।
Demolition Drive से पहले कोई Rehabilitation Plan सार्वजनिक नहीं किया गया। इससे लोगों में नाराजगी है और यही नाराजगी मंगलवार को विरोध में बदल गई।
Source: Faridabad News
Illegal Construction हटाने पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
ग्रामीणों का कहना है कि वे दशकों से यहां रह रहे हैं।
उनके मकान और दुकानें तोड़ी जा रही हैं लेकिन न कोई नोटिस दिया गया, न कोई विकल्प। कई परिवार बेघर हो गए हैं। महिलाओं और बुजुर्गों ने रोते हुए बताया कि अब उनके पास सिर छुपाने की जगह भी नहीं बची।
“हम अपराधी नहीं हैं, हम यहीं पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। अगर सरकार हमें घर दे देती, हम खुद हट जाते,”—एक ग्रामीण का बयान।
Lathi Charge से गांव में अफरा-तफरी, कई घायल
स्थिति बिगड़ने पर भारी पुलिस बल बुलाया गया। जैसे ही लोगों ने पथराव किया, पुलिस ने Lathi Charge कर भीड़ को हटाया। वीडियो में पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीखी झड़प साफ देखी गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया, जबकि पुलिस का कहना है कि सरकारी कर्मियों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी था। कई प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए हैं और कुछ अस्पताल में भर्ती हैं।
Supreme Court आदेश का हवाला, लेकिन सवाल कई
प्रशासन का कहना है कि यह Demolition Supreme Court के आदेश के तहत किया जा रहा है। 2022 में कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि Forest Land पर कब्जा अवैध है। लेकिन यह आदेश लागू करने के तरीके पर अब सवाल उठ रहे हैं।
क्या सरकार को बिना Rehabilitation के लोगों को हटाने का अधिकार है? क्या मानवीय पहलुओं को दरकिनार कर कानून लागू करना सही है?
Environmental Protection बनाम Human Rights
Illegal Construction हटाना जरूरी है, लेकिन इसका तरीका विवाद का कारण बन रहा है। जहां पर्यावरणविद इसे Aravalli बचाने का प्रयास मानते हैं, वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे ‘बिना पुनर्वास की जबरन बेदखली’ करार दे रहे हैं।
यह मामला साफ दिखाता है कि कानून और संवेदना के बीच सामंजस्य की कितनी जरूरत है।
पुनर्वास योजना का अभाव सबसे बड़ी कमी
अब तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट Rehabilitation Policy सामने नहीं आई है। प्रभावित परिवारों के पास कोई विकल्प नहीं है। इस कारण गुस्सा और विरोध बढ़ता जा रहा है।
अगर सरकार पहले से ग्रामीणों को नोटिस देकर पुनर्वास की योजना बताती, तो शायद टकराव टाला जा सकता था।
समाधान: संवाद, पुनर्वास और पारदर्शिता
सरकार को चाहिए कि वह Demolition से पहले स्पष्ट संवाद स्थापित करे, वैकल्पिक व्यवस्था दे और पारदर्शिता बनाए रखे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू करना जरूरी है, लेकिन इसके लिए आम लोगों को सजा नहीं मिलनी चाहिए।
सिर्फ बुलडोज़र ही नहीं, संवेदनशील नीति भी होनी चाहिए।
निष्कर्ष
Anangpur Clash केवल कानून का मामला नहीं है, बल्कि यह विकास, पर्यावरण और मानवीय मूल्यों के बीच संघर्ष की कहानी है। Illegal Construction हटाना जरूरी है, लेकिन अगर सरकार ने संवाद और पुनर्वास को प्राथमिकता दी होती, तो यह टकराव शायद नहीं होता।
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