
Faridabad के पास स्थित अनंगपुर गांव में आज सुबह का समय बेहद तनावपूर्ण रहा जब Forest Department की Bulldozer टीम ने कथित रूप से अवैध निर्माणों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की। गांव के सैकड़ों निवासी मौके पर पहुंच गए और Demolition के खिलाफ जमकर विरोध किया। विरोध को देखते हुए गांव में आज आपात Panchayat बुलाई गई, जिसमें ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए Forest officials से कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की।
Forest Department का कहना है कि यह Demolition सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किया जा रहा है, क्योंकि Aravali की संरक्षित जमीन पर अवैध कब्जों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जबकि ग्रामीण इसे अपनी विरासत पर हमला बता रहे हैं।
Emotional Attachment Vs Legal Mandate
Demolition के इस पूरे घटनाक्रम में एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दबाव है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों की अपनी ज़मीन से भावनात्मक जुड़ाव है। गांववालों का कहना है कि यह सिर्फ घर नहीं हैं, बल्कि उनकी पहचान और इतिहास का हिस्सा हैं।
एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया, “हम पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। हमारी यादें, हमारी जड़ें यहीं हैं। क्या एक आदेश के बल पर सब कुछ मिटा दिया जाएगा?”
Forest officials का दावा है कि Protected Aravalis में करीब 6,000 अवैध निर्माण चिन्हित किए गए हैं, जिनमें Farmhouses, Boundary Walls और Illegal Roads शामिल हैं। Supreme Court ने September 2024 तक इन सभी को हटाने का निर्देश दिया है।
Aravali Protection के नाम पर कार्रवाई
Forest Land Encroachment को हटाने की यह मुहिम जून 2024 से तेज़ हो गई थी। Faridabad प्रशासन की ओर से बताया गया कि अब तक 12 से ज्यादा Farmhouses गिराए जा चुके हैं। ये Farmhouses Section 4 of Punjab Land Preservation Act के उल्लंघन में बनाए गए थे।
पर्यावरणविद इस कार्रवाई का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि Aravali Ecosystem को बचाने के लिए ये जरूरी कदम है। लेकिन दूसरी तरफ ग्रामीण इसे एकतरफा और असंवेदनशील बताते हैं।
उनका सवाल है—
“अगर ये Land Encroachment है, तो जिम्मेदार कौन? जिन लोगों ने हमें जमीन बेची, वो कहां हैं? सरकार ने तब कुछ क्यों नहीं कहा?”
Grievances और Ground Reality
गांववालों की शिकायत है कि जब उन्होंने ये ज़मीन खरीदी, तब किसी ने उन्हें यह नहीं बताया कि यह Forest Area में आती है। बहुत से लोगों के पास Registered Sale Deed हैं।
- एक स्थानीय महिला ने कहा, “हमने अपने बच्चों के फ्यूचर के लिए ये घर बनाए थे। अब Bulldozer से सब कुछ खत्म किया जा रहा है। Justice कहा है?”
- यह मामला केवल अवैध निर्माण का नहीं है, यह सवाल खड़ा करता है—क्या प्रशासनिक विफलता की सज़ा नागरिकों को दी जा सकती है?
Supreme Court का आदेश और Forest Department की Planning
Supreme Court ने June 2024 में स्पष्ट कर दिया था कि Aravali की Forest Land पर किसी भी प्रकार का Encroachment बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद से Forest Department ने अपने ऑपरेशन को गति दी।
Demolition की इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए September 8, 2024 तक का समय दिया गया है। इससे पहले Faridabad Forest Division ने 85% Protected Forest Zones से अवैध निर्माण हटा दिए हैं।
Forest Officials ने मीडिया को बताया कि बाकी निर्माणों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी और किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
पंचायत से निकले भावनात्मक संदेश
आज हुई पंचायत में गांव के Senior Members, महिलाओं और युवाओं ने एक सुर में कहा कि इस मुद्दे को लेकर वे जल्द ही Faridabad DC और हरियाणा सरकार को Memorandum सौंपेंगे।
गांव के सरपंच ने बताया, “हम Environment के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हम अपने घरों की रक्षा ज़रूर करेंगे। कानून के दायरे में रहकर हम अपनी लड़ाई लड़ेंगे।”
आगे क्या हो सकता है?
- Demolition Drive तेज होगी: Supreme Court की Deadline नज़दीक है, जिससे Forest Officials किसी भी वक्त बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं।
- Legal Petitions का रास्ता: ग्रामीण High Court या Supreme Court में इस कार्रवाई के खिलाफ Stay मांग सकते हैं।
- Environmental Activism बढ़ेगा: यह मुद्दा जल्द ही State-wide Movement का रूप ले सकता है।
निष्कर्ष: Sentiment Vs Sustainability
अनंगपुर गांव की यह घटना केवल एक गांव की लड़ाई नहीं है, यह पूरे देश में चल रही Sentiment Vs Sustainability की बहस का हिस्सा बन चुकी है।
जहां एक ओर Supreme Court पर्यावरण के संरक्षण को सर्वोपरि मानता है, वहीं दूसरी तरफ आम नागरिकों की भावनाएं, संपत्ति और पहचान दांव पर लग रही हैं।
क्या Forest Conservation के नाम पर लोगों की जिंदगियां उजाड़ी जा सकती हैं? या क्या ये कदम वास्तव में हमारी Future Generations को एक Better Environment देने के लिए जरूरी हैं?
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