पहलगाम आतंकी हमले पर रॉबर्ट वाड्रा का आरोप: हिंदुत्व राजनीति है जिम्मेदार?
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक बयानबाजी को केंद्र में ला दिया है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने इस हमले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “हिंदुत्व राजनीति” से जोड़कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनके इस बयान पर राजनीतिक दलों और सुरक्षा विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
पहलगाम में क्या हुआ?
जम्मू-कश्मीर का खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम हाल ही में आतंकी हमले की चपेट में आ गया। सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें कुछ जानें गईं और क्षेत्र में स्थिरता को लेकर सवाल उठने लगे। ऐसी घटनाएं सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं, और विपक्षी दल सरकार की आतंकवाद-रोधी रणनीति पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
रॉबर्ट वाड्रा ने हिंदुत्व राजनीति को जिम्मेदार ठहराया
रॉबर्ट वाड्रा ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हमला “नरेंद्र मोदी की हिंदुत्व राजनीति का नतीजा” है। उनका तर्क था कि सरकार की ध्रुवीकरण करने वाली नीतियों ने कश्मीर में तनाव बढ़ाया है, जिससे ऐसे हमलों को बढ़ावा मिलता है।
“मोदी सरकार द्वारा हिंदुत्व राजनीति को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अशांति फैल रही है,” वाड्रा ने लिखा।
उनके इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन पर आतंकवाद को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया।
वाड्रा के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा ने किया जोरदार विरोध
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वाड्रा के बयान को “गैर-जिम्मेदाराना” और “फूट डालने वाला” बताया। वरिष्ठ भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्र के साथ खड़े होने की बजाय, वाड्रा वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और हिंदुत्व राजनीति को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना एक सस्ती राजनीतिक चाल है।”
कांग्रेस में मतभेद
जहां कुछ कांग्रेस नेताओं ने वाड्रा के बयान से खुद को दूर रखा, वहीं कुछ ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों ने वास्तव में कश्मीर में तनाव बढ़ाया है। यह आंतरिक मतभेद पार्टी के भीतर हिंदुत्व राजनीति को लेकर चल रहे मतभेदों को दर्शाता है।
हिंदुत्व राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा: एक जटिल बहस
हिंदुत्व राजनीति और आतंकवाद के बीच संबंध एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। मोदी सरकार के समर्थकों का मानना है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए मजबूत राष्ट्रवादी नीतियां जरूरी हैं, जबकि आलोचकों का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी से अल्पसंख्यक समुदायों में नाराजगी बढ़ती है और आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।
क्या हिंदुत्व राजनीति कश्मीर की स्थिरता को प्रभावित करती है?
विशेषज्ञों के अलग-अलग मत हैं:
- सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि कश्मीर में आतंकवाद पाकिस्तान से घुसपैठ और स्थानीय उग्रवाद का नतीजा है, न कि देश की राजनीतिक विचारधाराओं का।
- विपक्षी नेता इससे असहमत हैं और कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाने और आक्रामक राष्ट्रवादी बयानबाजी ने घाटी में असंतोष को बढ़ाया है।
रॉबर्ट वाड्रा का बयान इसी दूसरे पक्ष को सही ठहराता है, लेकिन क्या यह तर्क सही है, यह अभी भी बहस का विषय है।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर वाड्रा के बयान को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। कुछ लोगों ने हिंदुत्व राजनीति की आलोचना का समर्थन किया, तो कुछ ने उन पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने का आरोप लगाया।
- #RobertVadra ट्विटर पर ट्रेंड हुआ, जहां लोगों के विचार बंटे हुए थे।
- भाजपा समर्थकों ने उनके बयान को “राष्ट्रविरोधी” बताया।
- कांग्रेस समर्थकों ने इसे “फूट डालने वाली नीतियों की जरूरी आलोचना” कहा।
रॉबर्ट वाड्रा ने पहलगाम हमले को मोदी सरकार की हिंदुत्व राजनीति से जोड़कर एक बार फिर इस बहस को हवा दी है कि क्या कश्मीर में अस्थिरता का कारण सरकार की नीतियां हैं। भाजपा इसे राजनीतिक हमला मानती है, जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार के कदमों ने हालात बिगाड़े हैं।
जब तक आतंकवाद और राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं, तब तक सुरक्षा और शासन के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। वाड्रा का बयान क्या जनता की राय बदलेगा या फिर एक और राजनीतिक विवाद बनकर रह जाएगा, यह देखना बाकी है।